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रविवार, 31 मई 2020
आज से नाइट कर्फ्यू में पाबंदी घटेगी, बंदिशें सिर्फ कंटेनमेंट जोन में; पढ़ें देश में अब क्या, कहां और कब से बदलने वाला है?

देश ने 68 दिन का दुनिया का सबसे बड़ा लॉकडाउन देखा। वो भी चार फेज में। इस दौरान सवा सौ करोड़ की आबादी बंदिशों में रही। पहला लॉकडाउन सबसे सख्त था। और 31 मई को खत्म हुए लॉकडाउन-4 में काफी छूट मिली हुई थी। पर अब कई बंदिशें हटा ली गई हैं। केंद्र और राज्य, दोनों स्तर पर। इसलिए 1 जून यानी आज से लॉकडाउन-5 की जो शर्तें रखी गई हैं, उसका नाम अनलॉक-1 कर दिया गया है। सरकार तो यही कह रही।
चलिये देखते हैं देश में आज से क्या-क्या खुल रहा है और कहां-कहां बंदिशें जारी रहेंगी... सिर्फ 13 तस्वीरों में...













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from Dainik Bhaskar
18 हफ्ते में देश में 1.65 लाख, जबकि अमेरिका में 14.77 लाख केस आए; इस दौरान रोज नए मामलों की ग्रोथ रेट भी 30% से घटकर 5% हुई

कोरोनावायरस से जूझते-जूझते हमें 4 महीने पूरे हो गए। हमारे देश में कोरोनावायरस का पहला मामला 30 जनवरी को केरल में सामने आया था। उसके बाद 2 फरवरी तक ही केरल में 3 कोरोना संक्रमित सामने आ गए। ये तीनों ही चीन के वुहान शहर से लौटकर आए थे।
उसके बाद करीब एक महीने तक देश में कोरोना का कोई भी नया मरीज नहीं मिला। लेकिन, 2 मार्च के बाद से संक्रमितों की संख्या रोजाना बढ़ती चली गई।
4 महीने पूरे होने के साथ-साथ 29 मई को कोरोनावायरस के 18 हफ्ते भी पूरे हो चुके हैं। इस दौरान संक्रमण के मामले3 से बढ़कर 1.65 लाख से ज्यादा हो गए। लेकिन, चीन में इतने हफ्ते तक 84 हजार 494 मामले ही सामने आए। यानी कि अब तक हमारे देश में चीन की तुलना में 48% ज्यादा मामले हैं। हालांकि, 31 मई तक देश में 1.82 लाख से ज्यादा मामले आ चुके हैं।
हालांकि, आबादी में हमसे चार गुना से भी कम अमेरिका में 18 हफ्तों में 14.77 लाख से ज्यादा मामले आ गए हैं। जबकि, इटली और स्पेन में अभी कोरोनावायरस को 17 हफ्ते ही हुए हैं और अभी तक वहां संक्रमितों की संख्या 2.30 लाख के पार पहुंच गई है।

114 दिन में हमारे यहां 1.28 लाख मरीज थे, अमेरिका में इतने मरीज 71वें दिन में हो गए थे
हमारे देश में एक अच्छी बात ये भी है कि बाकी देशों की तुलना में हमारे यहां कोरोनावायरस की रफ्तार भी धीमी है। हमारे यहां बाकी देशों की तुलना में केस के दोगुने होने का समय काफी ज्यादा है।
चीन में कोरोनावायरस के 100 मामले पहले ही दिन में मिल गए थे। जबकि, हमारे यहां इतने मरीज होने में 42 दिन लगे। लेकिन, अमेरिका में पहले 100 केस 44 दिन में सामने आए थे।
इसी तरह 1 हजार मरीज हमारे यहां 58वें दिन में हो गए थे। जबकि, चीन में 5वें दिन और अमेरिका में 53वें दिन में ही हो गए थे।
वहीं, 1 लाख 28 हजार से ज्यादा मरीज सामने आने में हमारे यहां 114 दिन लगे थे। जबकि, इतने ही मरीज अमेरिका में 73वें दिन में आ गए थे। अमेरिका में कोरोना का पहला मरीज 21 जनवरी को मिला था।

लॉकडाउन का फायदा मिला, तभी कोरोना की रफ्तार इतनी धीमी?
कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए सबसे पहले 22 मार्च को एक दिन का जनता कर्फ्यू लगाया गया। 21 मार्च तक कोरोना के नए मामलों में रोजाना 30% की ग्रोथ हो रही थी। लेकिन, उसके बाद मामलों की ग्रोथ रेट में कमी आने लगी।
25 मार्च से देश में पूरी तरह से लॉकडाउन लग गया। लॉकडाउन का पहला फेज 14 अप्रैल तक था। इस दौरान नए मामलों की ग्रोथ रेट घटकर 10% पर आ गई। उसके बाद दूसरे फेज का लॉकडाउन 3 मई को खत्म हुआ। तब तक कोरोना के नए मामलों की ग्रोथ रेट 7% रह गई। अब ये और घटकर 5% पर आ गई।

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from Dainik Bhaskar
कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित 10 देशों में से 7 ने टोटल लॉकडाउन किया था, उनमें से सिर्फ भारत में नए मामले बढ़ रहे

कोरोना के सबसे ज्यादा असर वाले 10 देशों में से 7 ने इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए टोटल (नेशनल लेवल पर) लॉकडाउन लगाया था। इन 7 देशों में भारत ही ऐसा देश था, जहां सबसे कम संक्रमित (536) मिलने पर लॉकडाउन लगा दिया गया था। भारत सरकार को इस कदम के लिए डब्ल्यूएचओ से तारीफ भी मिली थी और कोविड-19 से निपटने के लिए सरकार की तैयारियों को ट्रैक करने वाले ऑक्सफोर्ड गवर्मेंट यूनिवर्सिटी ट्रैकर ने उसे 100 में से 100 पॉइंट्स भी दिए थे।
लेकिन, अब इन 7 देशों में भारत ही एकमात्र देश है, जहां नए कोरोना संक्रमितों की संख्या का ग्राफ लगातार ऊपर जा रहा है। बाकी 6 देशों में हर दिन सामने आने वाले नए मामलों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। इन 6 देशों ने कोरोना संक्रमण का फैलाव काफी हद तक रोक लिया है और इसीलिए इन देशों में पिछले दिनों धीरे-धीरे लॉकडाउन खोलने के लिए प्रतिबंधों में ढील दी जाती रही है। भारत भी इसी तर्ज पर आज (1 जून) से लॉकडाउन खोलने की प्रोसेस शुरू कर रहा है, जबकि यहांहर दिन नए मामलों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
इन सभी 7 देशों में लॉकडाउन लगने के 2-2 महीने पूरे हो चुके हैं। ऐसें में इन देशों में लॉकडाउन लगने के पहले और लॉकडाउन लगने के 2 महीने बाद नए संक्रमितों की संख्या में क्या बदलाव आया?, कहां लॉकडाउन सफल रहा?, कौन महामारी को फैलने से रोकने में कामयाब रहा? और कौन इन मोर्चों में नाकाम रहा?, इन्हीं सवालों के जवाब खोजती हमारी एक रिसर्च रिपोर्ट…

इटली, फ्रांस और जर्मनी में लॉकडाउन के नतीजे सबसे अच्छे रहे, भारत रेस में सबसे पीछे रह गया
1. इटली, फ्रांस और जर्मनी में लॉकडाउन के 2 महीने बाद नए मामलों की संख्या लॉकडाउन के पहले आ रहे मामलों की संख्या से कम हो चुकी है। जर्मनी रेस में सबसे आगे है। यहां लॉकडाउन के पहले की तुलना में 2 महीने बाद 9 गुना मामले कम आ रहे हैं। इसी तरह फ्रांस में नए मामलों की संख्या आधी हो गई है। इटली में भी डेढ़ गुना मामले घटे हैं।
2. स्पेन और ब्रिटेन में लॉकडाउन के 2 महीने बाद नए मरीजों की संख्या लॉकडान के पहले मिल रहे मरीजों की संख्या से तो ज्यादा है लेकिन यह 1 महीने पहले की तुलना में क्रमश: 3 गुना और 2 गुना कम हो गई है।
3. रूस में लॉकडाउन के बाद लगातार मामले बढ़े हैं। 2 महीने बाद यहां हर दिन 8 हजार से ज्यादा नए केस सामने आ रहे हैं। यह लॉकडाउन के पहले की तुलना में 45 गुना ज्यादा हैं और लॉकडाउन के 1 महीने बाद की तुलना में महज सवा गुना ज्यादा। लेकिन रूस में 6 से 12 मई के बीच हर दिन 10 हजार से ज्यादा केस आ रहे थे, इसकी तुलना में यहां लॉकडाउन के 2 महीने बाद मामले घट रहे हैं।
4. भारत में जब लॉकडाउन लगा तब हर दिन औसतन 81 मामले आ रहे थे। लॉकडाउन के एक महीने बाद यह 21 गुना बढ़ गए। यही नहीं लॉकडाउन के एक महीने बाद की तुलना में 2 महीने बाद हर दिन मिलने वाले मरीजों की संख्या 4 गुना हो गई।

लॉकडाउन के 2 महीने बाद भारत में सबसे ज्यादा मौतें हो रहीं
लॉकडाउन के 1 महीने बाद सभी देशों में मौतों की संख्या लॉकडाउन के पहले की तुलना में बढ़ीं। लेकिन 1 महीने बाद की तुलना में 2 महीने बाद हर दिन होने वाली मौतों की संख्या 7 में से 5 देशों में घट गई। लॉकडाउन के 1 महीने बाद की तुलना में 2 महीने बाद फ्रांस में 6 गुना, जर्मनी, यूके में 5 गुना और इटली, स्पेन में 3 गुना मौतें कम हुईं। रूस में यह संख्या डेढ़ गुना बढ़ गई। वहीं भारत में इसमें सबसे ज्यादा इजाफा हुआ। भारत में मौतें 3 गुना बढ़ गईं।

अमेरिका, ब्राजील में नेशनल लेवल परलॉकडाउन नहीं लगा,तुर्की में सिर्फ 2 और 4 दिनों के लिए लॉकडाउन रहा
1.अमेरिका में राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन नहीं है। यहां जब मामले बढ़ने लगे थे तो अलग-अलग प्रांतों के गवर्नरों ने अपने-अपने राज्य में लॉकडाउन लगाना शुरू किया। यहां 19 मार्च से लेकर 3 अप्रैल तक 17 राज्य स्टे एट होम पॉलिसी लागू कर चुके थे। यही कारण भी है कि अमेरिका में 3 अप्रैल के बाद से हर दिन आ रहे नए मामलों की संख्या अब कम हो रही है। अप्रैल के पहले हफ्ते में यहां हर दिन 30 हजार से ज्यादा मामले आ रहे थे, जो अब 20 से 25 हजार के बीच है।
2.अमेरिका की तरह ही ब्राजील में भी लॉकडाउन नहीं है। यहां राष्ट्रपति जैर बोलसोनारो लॉकडाउन के खिलाफ रहे हैं। लेकिन यहां भी अलग-अलग राज्यों ने अपने स्तर पर लॉकडाउन लगा रखा है। हालांकि इसमें बहुत देर हुई। 5 मई को सबसे पहले ब्राजील के साओ लुईस शहर में लॉकडाउन लगाया गया। इसके बाद फोर्टालिजा समेत कई नाम जुड़ते गए और फिर देश के 27 में से कई राज्यों ने लॉकडाउन लगाना शुरू किया। फिलहाल यहां हर दिन 30 हजार केस सामने आ रहे हैं।
3.तुर्की में 16 मार्च को स्कूलों को बंद किया गया। कैफे, स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट वैन्यू भी बंद किए गए। इसके बाद 11-12 अप्रैल और 18-19 अप्रैल को यहां 2-2 दिन के लॉकडाउन लगे। हाल ही में 23-26 मई तक ईद के मौके पर 4 दिन का लॉकडाउन लगा। यहां लंबे समय तक टोटल लॉकडाउन नहीं रहा। बावजूद इसके यहां नए मामलों की संख्या हर दिन कम हो रही है। अप्रैल के दूसरे-तीसरे हफ्ते में यहां हर दिन 4 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे थे, जबकि अब यह 1000 के आसपास सीमित हैं।

कोरोना के सबसे ज्यादा असर वाले 7 देशों में किस तरह लगा लॉकडाउन और स्टेटस क्या है?
1. रूस
कुल कोरोना संक्रमित: 2.86 लाख+, कोरोना से कुल मौतें: 27 हजार+
लॉकडाउन स्टेटस: रूस में 27 मार्च को कोरोना संक्रमितों की एक हजार के पार हुई थी। 28 मार्च से यहां लॉकडाउन लगा दिया गया। इसके बाद जब मामले 2.2 लाख पार हो गए तब राष्ट्रपति पुतिन ने लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील का एलान कर दिया। 12 मई से रूस में सभी सेक्टर में काम दोबारा शुरू करने की परमिशन दी गई। हालांकि यहां भीड़ इकट्ठे करने वाले कार्यक्रमों पर अभी भी प्रतिबंध जारी है।
2. स्पेन
कुल कोरोना संक्रमित: 2.86 लाख+, कोरोना से कुल मौतें: 27 हजार+
लॉकडाउन स्टेटस: स्पेन में 5 हजार संक्रमित मिलने के बाद ही 14 मार्च से लोगों के घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई थी। यहां लोग सिर्फ जरूरी चीजें और जरूरी काम से ही बाहर निकल पा रहे थे।
11 मई से देश के कई हिस्सों में लॉकडाउन के नियमों में ढील दी गई। इसके बाद आउटडोर कैफे, रेस्टोरेंट 50% क्षमता के साथ खुलने लगे। छोटी दुकानों को खोला जाने लगा। एक जगह पर 10 लोगों तक के इकट्ठे होने की परमिशन मिली। फिलहाल कुछ राहतों के साथ स्पेनमें लॉकडाउन 21 जून तक बढ़ सकता है।

3. ब्रिटेन
कुल कोरोना संक्रमित: 2.72 लाख+, कोरोना से कुल मौतें: 38 हजार+
लॉकडाउन स्टेटस: ब्रिटेन में6 हजार मामले होने के बाद 23 मार्च से टोटल लॉकडाउन लगा दिया गया था। 13 मई से ब्रिटेन में लॉकडाउन में छूट मिलना शुरू हुई। जो लोग घर से काम नहीं कर पा रहे थे, वे ऑफिस जाने लगे। गार्डन सेंटर और गोल्फ जैसे स्पोर्ट्स सेंटरों को खोल दियागया। 1 जून से यहां स्कूल खोल दिए जाएंगे। अब यहां घर के बाहर 6 लोगतक इकट्ठे हो सकते हैं।
4. इटली
कुल कोरोना संक्रमित: 2.32 लाख+, कोरोना से कुल मौतें: 33 हजार+
लॉकडाउन स्टेटस: 22 फरवरी को इटली के वेनेटो और लोम्बॉर्डी में कुछ शहरों को लॉकडाउन किया गया था। इनके बाद उत्तरी हिस्से के कई शहरों में लॉकडाउन लगाया जाने लगा। 10 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन लागू हुआ।

4 मई से इटली में लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील दी जाने लगी। 44 लाख लोग काम पर लौटे। रेस्टोरेंट और छोटी दुकानों को खोलने की परमिशन मिली। फ्युनरल में 15 लोगों तकइकट्ठे होने की छूट मिली।16 मई को प्रधानमंत्री कोंटे ने धीरे-धीरे लॉकडाउन खोलने की बात कही। इसके बाद 25 मई से यहां कुछ नियमों के साथ जिम, स्पोर्ट्स सेंटर और स्विमिंग पूल भी खोल दिए गए।
5. फ्रांस
कुल कोरोना संक्रमित: 1.88 लाख+, कोरोना से कुल मौतें: 28 हजार+
लॉकडाउन स्टेटस:फ्रांस में 29 फरवरी को 5 हजार से ज्यादा की भीड़ पर बैन लगाया गया।17 मार्च से फ्रांस में टोटल लॉकडाउन हो गया। 2 महीने के अंदर ही लॉकडाउन नियमों में राहत भी दी जाना शुरू हो गई। 11 मई से यहां दुकानें और स्कूल खोले जाने लगे। 10 लोगों के इकट्ठे होने की छूट मिली। जून के पहले सप्ताह से यहां कैफे, रेस्टोरेंट और समुद्री किनारों को भी खोल दिया जाएगा।
6. इंडिया
कुल कोरोना संक्रमित: 1.85 लाख+, कोरोना से कुल मौतें: 5 हजार+
लॉकडाउन स्टेटस: 3 मार्च को दिल्ली सरकार ने सबसे पहले स्कूलों को बंद करने का ऐलान किया। 10 मार्च के बाद कई राज्यों में स्कूल, कॉलेज को बंद करने के आदेश दिए गए। 15 मार्च से ही धार्मिक स्थलों को बंद करने के आदेश आए। 22 मार्च को एक दिन के लिए पूरे देश में जनता कर्फ्यू लगाया गया। इसी दिन से देशभर के अलग-अलग शहरों में लॉकडाउन का ऐलान होने लगा। 25 मार्च से पूरे देश को ही लॉकडाउन कर दिया गया।

फिलहाल, यहां लॉकडाउन का चौथा फेज चल रहा है। यहां दूसरे फेज से ही प्रतिबंधों में ढील दी जाने लगी थी। फिलहाल यहां छोटी दुकानों औरशराब की दुकानों को खोलने की अनुमति है।7 दिन पहले से घरेलू उड़ानें भी शुरू हो चुकी हैं।और अब 1 जून से देश अनलॉक होना शुरू हो चुका है। इसके तहत अगले कुछ दिनों में धार्मिक स्थलों, सैलूनसमेत बाकीतमाम सेक्टर भी धीरे-धीरे फिर से खोले जाएंगे।
7. जर्मनी
कुल कोरोना संक्रमित: 1.83 लाख+, कोरोना से कुल मौतें: 8 हजार+
लॉकडाउन स्टेटस: 10 मार्च को जर्मनी के कई राज्यों ने 1000 से ज्यादा की भीड़ को बैन किया। 16 मार्च से स्कूलों को बंद करने के आदेश दिए गए। 20 मार्च को जर्मनी के सभी राज्यों ने सोशल इवेंट और हर छोटी-बड़ी भीड़ पर पाबंदी लगाई। 23 मार्च से देश में टोटल लॉकडाउन लागू हुआ। 5 मई से यहांलॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील दी गई है। दूकानें फिर से खुलने लगी हैं। स्कूल्स खोल दिए गए हैं। जर्मन फूटबॉल लीग के मैच भी शुरू हो चुके हैं।
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from Dainik Bhaskar
तीरंदाज सम्मान के लिए राज्य संघ, कोच और खेल विभाग के चक्कर लगा रहे; नाम की सिफारिश करने वाले आर्चरी फेडरेशन को मान्यता नहीं

देश के कई तीरंदाजअर्जुन पुरस्कारके लिए अपने नामों की सिफारिश के चक्कर मेंराज्य संघों, खेल विभाग के अफसरों के आगे-पीछे घूमने को मजबूर हैं। भारतीय तीरंदाजी संघ को चुनाव के 5 महीने बाद भी मान्यता नहीं मिली है। ऐसे में वह राष्ट्रीयखेल पुरस्कारों के लिए तीरंदाजों के नामों की सिफारिश नहीं कर सकता।
तीरंदाजी के कंपाउंड राउंड से मध्यप्रदेश की मुस्कान किरार और दिल्ली के अमन सैनी अर्जुन अवॉर्ड के लिए आवेदन कर रहे हैं। इनके अलावा रिकर्व राउंड से पश्चिम बंगाल के अतनु दास और महाराष्ट्र के प्रवीण जाधव भी हैं।
एएफआई की 2012 में मान्यता रद्द हुई थी
आर्चरी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफआई) का चुनाव कोर्ट के आदेश के बाद इस साल जनवरी में हुआ था। इससे पहले खेल मंत्रालय ने 2012 में स्पोर्ट्स कोड का पालन नहीं करने के कारण एएफआई की मान्यता रद्द कर दी थी। जबकि वर्ल्ड आर्चरी फेडरेशन (डब्ल्यूएएफ) ने 5 अगस्त 2019 को फेडरेशन पर प्रतिबंध लगाया था। तब से ही भारतीय खिलाड़ी सभी टूर्नामेंट में डब्ल्यूएएफ के झंडे तले हिस्सा ले रहे थे।
इसी साल जनवरी में हुए थे चुनाव
जनवरी में कोर्ट की ओर से दी गई गाइडलाइन के अनुसार खेल मंत्रालय, डब्ल्यूएएफ और एएफआई की निगरानी में चुनाव हुए थे। इसके बाद डब्ल्यूएएफ ने एएफआई पर से सशर्त प्रतिबंध हटा दिया था। लेकिन खेल मंत्रालय के पास कोर्ट की तरफ से चुनाव से जुड़े दस्तावेज नहीं पहुंचे। इसलिए खेल मंत्रालय ने अब तक फेडरेशन की मान्यता बहाल नहीं की है।

टोक्यो के लिए क्वालिफाई कर चुके हैं अतनु
इंटरनेशनल आर्चर अतनु दास ने अर्जुन अवॉर्ड के लिए आवेदन किया है। उन्होंने भास्कर को बताया कि मेरे नाम की सिफारिशपिछले साल मेजर ध्यानचंद अवॉर्ड से सम्मानित कोच सी. लालरेमसांगा कर रहे हैं। फेडरेशन को मान्यता नहीं मिली है। इसलिए उन्हें और दूसरे तीरंदाजों को व्यक्तिगत रूप से राज्य संघों और राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल कर चुके कोच और अपने मूल विभाग से नाम भिजवाना पड़ा रह है। जबकि आम तौर पर यह काम फेडरेशन का होता है। वही खिलाड़ीका नाम खेल मंत्रालय को भेजती है।
अतनु ने एशियन चैम्पियनशिप में 3 ब्रॉन्ज मेडल जीते
अतनु ने पिछले साल एशियन तीरंदाजी चैम्पियनशिप में 3 ब्रॉन्ज मेडल जीते थे। वहीं, 14 साल बाद वर्ल्ड चैम्पियनशिप में सिल्वर जीतने वाली टीम के सदस्य भी थे। उन्होंने टोक्यो ओलिंपिक के टीम इवेंट, सिंगल और मिक्स्ड डबल्स तीनों वर्ग में क्वालिफाई किया है।

कंपाउंड में देश के लिए अंतरराष्ट्रीय मेडल जीत चुके अमन सैनी ने अब तक अर्जुन अवॉर्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन नहीं भेज पाए हैं। उन्होंने भास्कर को बताया कि आमतौर पर फेडरेशन सारी कागजी कार्रवाई पूरी करता है। लेकिन हमारे मामले में तीरंदाजी फेडरेशन को अब तक खेल मंत्रालय सेमान्यता नहीं मिली है। ऐसे में वो हमारे नाम की सिफारिश नहीं कर सकती है। इसलिए मैं खेल मंत्रालय कोऑनलाइन आवेदन भेजने के लिएस्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों से बात कर रहा हूं।
साई के पासमेरे पिछले तीन साल का रिकॉर्ड भी है। इस दौरान मेरा प्रदर्शन कैसा था। वह अच्छे से जानते हैं।इसलिए मैं अफसरों से अनुरोध कर रहा हूं कि वे पुरस्कार के लिए अप्लाई करने में मेरी मदद करें।
एशियन गेम्स में जीत चुके हैं मेडल
अमन ने 2018 एशियन गेम्स के टीम इवेंट में सिल्वर और 2019 वर्ल्ड चैम्पियनशिप के टीम इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता है।

अर्जुन अवॉर्ड के लिए मुस्कान किरार के नाम की सिफारिश मध्यप्रदेश स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट कर रहा है। वे 2016 से जबलपुर की आर्चरी अकादमी में ट्रेनिंग कर रही हैं।
वर्ल्ड चैंपियनशिप में टीम इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता
मुस्कान ने 2018 एशियन गेम्स के तीरंदाजी कंपाउंड टीम इवेंट में रजत पदक जीता था। उन्होंने इसी साल थाईलैंड एशिया कप में स्वर्ण और कांस्य पदक दिलाया था। मुस्कान ने टर्की में वर्ल्ड कप स्टेज-2 में भी रजत अपने नाम किया था। 2019 वर्ल्ड चैम्पियनशिप के टीम इवेंट में भी ब्रॉन्ज जीता था।

महाराष्ट्र के प्रवीण जाधव पिछले साल वर्ल्ड तीरंदाजी चैम्पियनशिप में 14 साल बाद सिल्वर मेडल जीतने वाली टीम के हिस्सा थे। उनके साथ टीम में तरूणदीप राय और अतनु दास शामिल थे। इन्होंने भी सम्मान के लिए आवेदन दिया है।
अप्लाई करने की आखिरी तारीख 3 जून
अर्जुन अवॉर्ड के लिए अप्लाई करने की आखिरी तारीख 3 जून है। इस बार खिलाड़ियों को ऑनलाइन आवेदन भेजना है। यह सम्मान सभी खिलाड़ियों को उनके पिछले 4 साल के प्रदर्शन के आधार पर दिया जाता है।
इस मामले परआर्चरीफेडरेशन ऑफ इंडिया के सेक्रेटरी प्रमोद चांदुलकर ने बताया कि अभी फेडरेशन को खेल मंत्रालय से मान्यता नहीं मिली है। इसलिए हम अर्जुन अवॉर्ड के लिए किसी भी प्लेयर का नाम नहीं भेज सकते हैं। उन्होंने बताया कि जनवरी में कोर्ट के आदेश पर चुनाव हुए थे। लेकिन लॉकडाउन के कारण कोर्ट के आदेश से जुड़े दस्तावेजमंत्रालय में नहीं पहुंचे हैं। इस कारण मान्यता नहीं मिली है। प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही मान्यता मिल जाएगी।
-प्रमोद चांदुलकर,सेक्रेटरी,आर्चरीफेडरेशन ऑफ इंडिया
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