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गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

भारत में हर 10 कैंसर मरीजों में से 7 की मौत हो जाती है, यहां एक डॉक्टर पर 2000 मरीजों का बोझ होता है #wanitaxigo


अलग किस्म के अभिनेता थे ऋषि कपूर, 'ना' से होती थी 'हां' की शुरुआत #wanitaxigo


देश की पहली काेराेना मरीज उषा ने कहा- संक्रमण हुआ तो डर नहीं लगा, तीन हफ्ते में ही ठीक हो गई थी #wanitaxigo


दुनिया में 32 लाख से ज्यादा संक्रमित और 2.23 लाख से ज्यादा मौतों के बावजूद 32 देश ऐसे, जहां कोरोनावायरस नहीं पहुंचा #wanitaxigo


वैष्णोदेवी में 35 पुजारियों को अनुमति, अब बारी-बारी से पांच-पांच करते हैं पूजा; 27 किमी लंबे पूरे ट्रैक का सैनिटाइजेशन कराया #wanitaxigo


अलग किस्म के अभिनेता थे ऋषि कपूर, 'ना' से होती थी 'हां' की शुरुआत #wanitaxigo


भारत में हर 10 कैंसर मरीजों में से 7 की मौत हो जाती है, यहां एक डॉक्टर पर 2000 मरीजों का बोझ होता है #wanitaxigo


वैष्णोदेवी में 35 पुजारियों को अनुमति, अब बारी-बारी से पांच-पांच करते हैं पूजा; 27 किमी लंबे पूरे ट्रैक का सैनिटाइजेशन कराया #wanitaxigo


देश की पहली काेराेना मरीज उषा ने कहा- संक्रमण हुआ तो डर नहीं लगा, तीन हफ्ते में ही ठीक हो गई थी #wanitaxigo


वैष्णोदेवी में 35 पुजारियों को अनुमति, अब बारी-बारी से पांच-पांच करते हैं पूजा; 27 किमी लंबे पूरे ट्रैक का सैनिटाइजेशन कराया

(श्राइन बोर्ड के सीईओ रमेश जांगिड़ की भास्कर के लिए लाइव रिपोर्ट)देश में खास श्रद्धा स्थलों में से एक है माता वैष्णोदेवी का मंदिर। जम्मू में स्थित इस शक्तिपीठ पर शीश नवाने हर साल 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन इन दिनों यहां सन्नाटा है। कोरोना के चलते 18 मार्च से वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड ने यात्रा स्थगित कर दी थी, लेकिन श्राइन बोर्ड जिम्मेदारी से कार्य को अंजाम दे रहा है। इसकी बागडोरश्राइन बोर्ड के सीईओ आईएएस रमेश कुमार जांगिड़ के हाथों में है। वे बाड़मेर (राजस्थान) के भियाड़ गांव के हैं। जांगिड़ ने बाड़मेर के दोस्त अली को ताजा हालात बताए।

उनके मुताबिक,मंदिर में 35 पुजारियों को ही मंदिर परिसर में जाने की अनुमति है। बारी-बारी से 5-5 पुजारी आरती करते हैं। पहले पिंडी दर्शन का सीधा प्रसारण होता था। अब सुबह-शाम की आरती और लाइव दर्शन कर पा रहे हैं। मंदिर तक 27 किमी ट्रैक सहित कटरा को सैनिटाइज किया गया है। जम्मू स्थित वैष्णवी धाम, कालिका धाम और सरस्वती धाम जहां 1 हजार लोगों के ठहरने की व्यवस्था होती है, इसे 600बेड के क्वारैंटाइन सेंटर के लिए तैयार किया गया है।



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वैष्णोदेवी की फोटो आईएएस जांगिड़ ने उपलब्ध कराई। यह बुधवार की है।


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देश की पहली काेराेना मरीज उषा ने कहा- संक्रमण हुआ तो डर नहीं लगा, तीन हफ्ते में ही ठीक हो गई थी

देश की पहली काेरोना मरीज केरल की मेडिकल छात्रा उषा राम मनोहर संक्रमण से उबरकर फिर से पढ़ाई में जुट गई हैं। 20 वर्षीय उषा ने बताया कि वह चीन के वुहान में अपने विवि की ऑनलाइन क्लासलेने के साथ खाना पकाने में मां का हाथ भी बंटा रही हैं। तीन महीने पहले जब कोरोना संक्रमित पाए जाने की पुष्टि हुई थी, तो भी डरी नहीं थीं। अस्पताल में ठीक होने में उषा कोतीन हफ्ते लगे। मेडिकल में तीसरे वर्ष की छात्रा ने न्यूज एजेंसी को बताया कि अब कैसी है उसकी लाइफ और क्या बदलाव आए...

‘सेमेस्टर खत्म होने के बाद छुट्टियों हाेने के कारण मैं वुहान विवि से केरल स्थित अपने घर लौटी थी। मुझे गले में खराश और सूखी खांसी थी। 30 जनवरी को मुझे कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद मुझे त्रिशूर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया। तीन सप्ताह तक इलाज के बाद मुझे संक्रमण मुक्त पाया गया। 20 फरवरी को मुझे अस्पताल से छुट्टी दी गई। इसके बाद मैंने जल्द ही अपनी ऑनलाइन कक्षाएं लेनी शुरू कर दीं। मेरी क्लास सुबह 5:30 बजे (चीन के समयानुसार सुबह 8 बजे) शुरू होती हैं और सुबह 9 बजे तक चलती हैं। बीच में 10 मिनट का अल्पावकाश मिलता है।

उषा ने कहा- विमान सेवाएं शुरू होने के बाद हीवुहान जा पाएंगे
यूनिवर्सिटीके फैकल्टी मेंबर्स में चीन, पाकिस्तान और श्रीलंका के शिक्षक हैं, लेकिन हमारे संकाय सदस्य ज्यादातर चीन के हैं और वे अंग्रेजी में पढ़ाते हैं। हालांकि, यूनिवर्सिटी ने कहा है कि छात्रों की वापसी पर क्लास नए सिरे से लगेंगी। लेकिन, अभी तक कोई समय सीमा तय नहीं है। हमें बताया गया है कि शायद वुहान में अब कोई मरीज नहीं है, लेकिन विमान सेवाएं शुरू होना जरूरी है, तभी हम वहां जा सकेंगे।’



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यह फोटो केरल की है। यहां संक्रमण रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। अब तक मिले 498 मरीजों में से 383 ठीक हुए, सिर्फ 4 मौतें हुईं। (फाइल)


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दुनिया में 32 लाख से ज्यादा संक्रमित और 2.23 लाख से ज्यादा मौतों के बावजूद 32 देश ऐसे, जहां कोरोनावायरस नहीं पहुंचा

दुनिया में 32 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमण और 2.23 लाख से ज्यादा मौतों के बावजूद 32 देश ऐसे हैं, जहां कोरोनावायरस नहीं पहुंच पाया है। वहां कोरोना का एक भी मामला नहीं मिला है। हालांकि, उत्तर कोरिया पर संशय हो सकता है। 29 अप्रैल तक की स्थिति में 247 देशों में से 215 में कोरोना फैल चुका है। ताजा नाम तजाकिस्तान का है, जहां गुरुवार को पहला मामला सामने आया।

9 देशों की आबादी एक लाख से ज्यादा

जिन 32 देशों में कोरोना अभी तक नहीं पहुंच पाया है, उनमें से 9 देशों की आबादी एक लाख से ज्यादा है। सबसे ज्यादा 2.57 करोड़ आबादी उत्तर कोरिया की है। हालांकि, वह चीन के करीब है और वहां की ज्यादा जानकारी बाहर नहीं आ पाती। ऐसे में वहां के आंकड़ों की जानकारी को लेकर संशय की स्थिति है। सबसे कम आबादी कोकोस आइलैंड की है।

ज्यादा आबादी वाले देश

  • उत्तर कोरिया- जनसंख्या 2.6 करोड़
  • तुर्कमेनिस्तान-जनसंख्या 60 लाख
  • लीसोथो-जनसंख्या 21.4 लाख
  • कोमोरोस-जनसंख्या 8.7 लाख
  • माइक्रोनेशिया-जनसंख्या 5.5 लाख

कम आबादी वाले देश

  • कोकोस आइलैंड- जनसंख्या 596
  • तोकलाऊ- जनसंख्या 1357
  • क्रिसमस आइलैंड- जनसंख्या 1402
  • नियू आइलैंड- जनसंख्या 1626
  • सेंट हेलेना- जनसंख्या 6077

इन 5 देशों ने संक्रमण पूरी तरह खत्म किया

  • अंगुला, ग्रीनलैंड, कैरिबियन आइलैंड, सेंट बार्ट्स एंड सेंट लूसिया और यमन।
  • 214 में से 166 देशों में कोरोना की वजह से कम से कम एक व्यक्ति की मौत हुई।
  • ओशिनिया में 29 देशों और क्षेत्रों में से केवल 8 में संक्रमण के मामले आए हैं।


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जिन 32 देशों में कोरोना अभी तक नहीं पहुंच पाया है, उनमें से 9 देशों की आबादी एक लाख से ज्यादा है। सबसे ज्यादा 2.57 करोड़ आबादी उत्तर कोरिया की है। -प्रतीकात्मक फोटो


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भारत में हर 10 कैंसर मरीजों में से 7 की मौत हो जाती है, यहां एक डॉक्टर पर 2000 मरीजों का बोझ होता है

पिछले दो दिनों में बॉलीवुड ने अपने दो बेहतरीन कलाकार खो दिए। दोनों को वह बीमारी थी, जो दुनिया की हर छठीमौत का कारण बनती है।ऋषि कपूर को ब्लड कैंसर था और इरफान खान को ब्रेन कैंसर। दोनों का इलाज देश में भी चला और विदेश में भी, लेकिन इलाज के 2 साल के अंदर ही दोनों की मौत हो गई।

हर साल देश और दुनिया में कैंसर से लाखों मौत होती हैं। डबल्यूएचओ के एक अनुमान के मुताबिक, 2018 में कैंसर से कुल 96 लाख मौतें हुईं थीं। इनमें से 70% मौतें गरीब देश या भारत जैसे मिडिल इंकम देशों में हुईं। इसी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कैंसर से 7.84 लाख मौतें हुईं। यानी कैंसर से हुईं कुल मौतों की 8% मौतें अकेले भारत में हुईं।


जर्नल ऑफ ग्लोबल एंकोलॉजी में 2017 पब्लिश हुईएक स्टडी के मुताबिक, भारत में कैंसर से मरने वालों की दर विकसित देशों से लगभग दोगुनी है। इसके मुताबिक भारत में हर 10 कैंसर मरीजों में से 7 की मौत हो जाती है जबकि विकसित देशों में यह संख्या 3 या 4 है। रिपोर्ट में इसका कारण कैंसर का इलाज करने वाले डॉक्टरों की कमी बताया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2000 कैंसर मरीजों पर महज एक डॉक्टर है। अमेरिका में कैंसर मरीजों और डॉक्टरों का यही रेशियो 100:1 है, यानी भारत से 20 गुना बेहतर।


कम डॉक्टर होने के बावजूद भारत में कैंसर के कई बड़े अस्पताल हैं, जहां स्पेशलिस्ट और सुविधाएं बेहतर हैं। खाड़ी देशों समेत कई अफ्रीकी देशों के मरीज भी यहां इलाज के लिए आते हैं। इसका एक बड़ा कारण यह है कि विकसित देशों के मुकाबले में भारत में कैंसर का बेहद सस्ता इलाज होता है। लेकिन इसके बावजूद भारत से कई लोग विदेशों में कैंसर का इलाज करवाना पसंद करते हैं।


ऋषि कपूर अपने इलाज के लिए न्यूयॉर्क गए थे। इसी तरह इरफान खान का इलाज लंदन में चला था। बॉलीवुड में यह फेहरिस्त लंबी है। इसमें सोनाली बेंद्रे और मनीषा कोइराला और क्रिकेटर युवराज सिंह जैसे सितारे भी शामिल हैं, जिनका इलाज अमेरिका के ही कैंसर अस्पतालों में हुआ।


एक्सपर्ट मानते हैं कि कैंसर के इलाज में भारत कहीं भी विकसित देशों से पीछे नहीं हैं लेकिन जब लोगों के पास पैसा होता है तो वे और बेहतर के विकल्प खोजते रहते हैं। हां यह जरूर है कि भारत में सभी मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पाता इसलिए विकसित देशों के मुकाबले डेथ रेशियो ज्यादा है, लेकिन जिन्हें भी सही इलाज मिल जाता है, तो ठीक होने की संभावना विकसित देशों के ही बराबर ही होती है।

भारत: साल 2018 में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में कैंसर के मामले कम रहे, लेकिन मौतें ज्यादा हुईं
डब्लूएचओ की ही रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में साल 2018 में महिलाओं में कैंसर के 5.87 लाख मामले आए थे जबकि पुरुषों में यह संख्या 5.70 लाख थी। हालांकि कैंसर से हुईं मौतों के मामले में पुरुषों की संख्या महिलाओं से 42 हजार ज्यादा थी। 2018 में कैंसर से 4.13 लाख पुरुषों की मौत हुई जबकि महिलाओं की संख्या 3.71 लाख थी। पुरुषों में जहां सबसे ज्यादा मामले मुंह और फेफड़ों के कैंसर के आए, वहीं महिलाओं में सबसे ज्यादा मामले ब्रेस्ट और गर्भाशय के कैंसर के रहे।

पुरुषों में

कैंसर

नए मामले

महिलाओं में

कैंसर

नए मामले

मुंह का कैंसर

92 हजार

ब्रेस्ट कैंसर

1.62 लाख

फेफड़ों का कैंसर

49 हजार

गर्भाशय का कैंसर

97 हजार

अमाशय का कैंसर

39 हजार

अंडाशय का कैंसर

36 हजार

मलाशय का कैंसर

36 हजार

मुंह का कैंसर

28 हजार

आहार नली का कैंसर

34 हजार

मलाशय का कैंसर

20 हजार

सोर्स: ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी, डब्लूएचओ (आंकड़े-2018)

-भारत में साल 2018 में ब्रेस्ट कैंसर से 87 हजार महिलाओं की मौत हुई यानी हर दिन 239 मौत। इसी तरह गर्भाशय के कैंसर से हर दिन 164 और अंडाशय के कैंसर से हर दिन 99 मौतें हुईं।


दुनिया : 18% मौतें फेफड़ों के कैंसर से
साल 2018 में कैंसर के कुल 1.81 करोड़ मामले आए। इसमें पुरुषों के 94 लाख और महिलाओं के 86 लाख मामले थे। मौतें भी पुरुषों में ज्यादा देखी गई। 53.85 लाख पुरुषों की कैंसर से मौत हुई, वहीं महिलाओं की संख्या 41.69 लाख रही। पुरुषों में सबसे ज्यादा मामले फेफेड़ों, प्रोस्टेट और मलाशय कैंसरके आए। वहीं महिलाओं में ब्रेस्ट, मलाशय और फेफड़ों के कैंसर के ज्यादा केस थे।

कैंसर

मामले मौतें

फेफड़ों का कैंसर

20.93 लाख

17.61 लाख

ब्रेस्ट कैंसर

20.88 लाख

6.26 लाख

प्रोस्टेट कैंसर

12.76 लाख

3.59 लाख

आंत का कैंसर

10.96 लाख

5.51 लाख

अमाशय का कैंसर

10.33 लाख

7.82 लाख

सोर्स: ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी, डब्लूएचओ (आंकड़े-2018)

- दुनियाभर में साल 2018 में कैंसर की22% मौतों का कारण महज तंबाकू था। गरीब और मिडिल इनकम देशों में कैंसर के25% मामले हैपेटाइटिस और एचपीवी जैसे वायरस इंफेक्शन के कारण हुए।



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In India, 7 out of every 10 cancer patients die, here a doctor carries a burden of 2000 patients.


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वैष्णोदेवी में 35 पुजारियों को अनुमति, अब बारी-बारी से पांच-पांच करते हैं पूजा; 27 किमी लंबे पूरे ट्रैक का सैनिटाइजेशन कराया

(श्राइन बोर्ड के सीईओ रमेश जांगिड़ की भास्कर के लिए लाइव रिपोर्ट)देश में खास श्रद्धा स्थलों में से एक है माता वैष्णोदेवी का मंदिर। जम्मू में स्थित इस शक्तिपीठ पर शीश नवाने हर साल 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन इन दिनों यहां सन्नाटा है। कोरोना के चलते 18 मार्च से वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड ने यात्रा स्थगित कर दी थी, लेकिन श्राइन बोर्ड जिम्मेदारी से कार्य को अंजाम दे रहा है। इसकी बागडोरश्राइन बोर्ड के सीईओ आईएएस रमेश कुमार जांगिड़ के हाथों में है। वे बाड़मेर (राजस्थान) के भियाड़ गांव के हैं। जांगिड़ ने बाड़मेर के दोस्त अली को ताजा हालात बताए।

उनके मुताबिक,मंदिर में 35 पुजारियों को ही मंदिर परिसर में जाने की अनुमति है। बारी-बारी से 5-5 पुजारी आरती करते हैं। पहले पिंडी दर्शन का सीधा प्रसारण होता था। अब सुबह-शाम की आरती और लाइव दर्शन कर पा रहे हैं। मंदिर तक 27 किमी ट्रैक सहित कटरा को सैनिटाइज किया गया है। जम्मू स्थित वैष्णवी धाम, कालिका धाम और सरस्वती धाम जहां 1 हजार लोगों के ठहरने की व्यवस्था होती है, इसे 600बेड के क्वारैंटाइन सेंटर के लिए तैयार किया गया है।



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देश की पहली काेराेना मरीज उषा ने कहा- संक्रमण हुआ तो डर नहीं लगा, तीन हफ्ते में ही ठीक हो गई थी

देश की पहली काेरोना मरीज केरल की मेडिकल छात्रा उषा राम मनोहर संक्रमण से उबरकर फिर से पढ़ाई में जुट गई हैं। 20 वर्षीय उषा ने बताया कि वह चीन के वुहान में अपने विवि की ऑनलाइन क्लासलेने के साथ खाना पकाने में मां का हाथ भी बंटा रही हैं। तीन महीने पहले जब कोरोना संक्रमित पाए जाने की पुष्टि हुई थी, तो भी डरी नहीं थीं। अस्पताल में ठीक होने में उषा कोतीन हफ्ते लगे। मेडिकल में तीसरे वर्ष की छात्रा ने न्यूज एजेंसी को बताया कि अब कैसी है उसकी लाइफ और क्या बदलाव आए...

‘सेमेस्टर खत्म होने के बाद छुट्टियों हाेने के कारण मैं वुहान विवि से केरल स्थित अपने घर लौटी थी। मुझे गले में खराश और सूखी खांसी थी। 30 जनवरी को मुझे कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद मुझे त्रिशूर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया। तीन सप्ताह तक इलाज के बाद मुझे संक्रमण मुक्त पाया गया। 20 फरवरी को मुझे अस्पताल से छुट्टी दी गई। इसके बाद मैंने जल्द ही अपनी ऑनलाइन कक्षाएं लेनी शुरू कर दीं। मेरी क्लास सुबह 5:30 बजे (चीन के समयानुसार सुबह 8 बजे) शुरू होती हैं और सुबह 9 बजे तक चलती हैं। बीच में 10 मिनट का अल्पावकाश मिलता है।

उषा ने कहा- विमान सेवाएं शुरू होने के बाद हीवुहान जा पाएंगे
यूनिवर्सिटीके फैकल्टी मेंबर्स में चीन, पाकिस्तान और श्रीलंका के शिक्षक हैं, लेकिन हमारे संकाय सदस्य ज्यादातर चीन के हैं और वे अंग्रेजी में पढ़ाते हैं। हालांकि, यूनिवर्सिटी ने कहा है कि छात्रों की वापसी पर क्लास नए सिरे से लगेंगी। लेकिन, अभी तक कोई समय सीमा तय नहीं है। हमें बताया गया है कि शायद वुहान में अब कोई मरीज नहीं है, लेकिन विमान सेवाएं शुरू होना जरूरी है, तभी हम वहां जा सकेंगे।’



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यह फोटो केरल की है। यहां संक्रमण रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। अब तक मिले 498 मरीजों में से 383 ठीक हुए, सिर्फ 4 मौतें हुईं। (फाइल)


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अलग किस्म के अभिनेता थे ऋषि कपूर, 'ना' से होती थी 'हां' की शुरुआत

(अंकिता जोशी). जयप्रकाश चौकसे फिल्म समीक्षक हैं और ऋषि कपूर के पुराने दोस्त भी। ऋषि की रुख्सती से चौकसे साहब दुखी हैं। उनकी यादों में अलग किस्म का ऋषि बसता है। वह अटेंशन सीकर एक्टर भी है और तुनकमिजाज दोस्त भी। अपनी ही दुनिया में मगन रहने वाला इंसान भी है और बच्चों की फिक्र में रात भर बेचैन रहनेवाला पिता भी। लड़कियों के सिरहाने मिलने वाला खूबसूरत नौजवान भी है और जीवनभर सिर्फ नीतू को चाहते रहने वाला सच्चा आशिक भी। ऋषि की ऐसी ही शख्सियत के कुछ अलहदा रंग चौकसे साहब ने कुछ यूं बयां किए।

''मूडी, गुस्सैल, शॉर्ट टेम्पर्ड, मुंहफट...सब थे वो। लेकिन, ऋषि कपूर की शख्सियत को एक लफ्ज में बयां करना हो तो उनकी आत्मकथा का शीर्षक ‘खुल्लमखुल्ला' सटीक शब्द होगा। वे हर बात उतनी ही साफगोई से रख देते थे, जैसी उनके दिल-ओ-दिमाग में आती थी। उनके दोस्त कम ही रहे, लेकिन जो उनके करीबी हैं वो जानते हैं कि ऋषि जितनी जल्दी गुस्सा हो जाते, गलती का अहसास होने पर उतनी ही जल्दी माफी भी मांग लेते। हम भी कई बार उलझे, लेकिन ऋषि कपूर से कोई ज्यादा देर नाराज नहीं रह पाता था। एक दफा मैं और ऋषि रात दो बजे आर के स्टूडियो से निकले। उनकी गाड़ी में थे हम। मैंने कहा मुझे एयरपोर्ट छोड़ दीजिए, पांच बजे मेरी फ्लाइट है। रास्ते में किसी बात पर हमारी कहासुनी हो गई।

कपूर फैमिली के साथऋषि कपूर (बाएं से पहले)

उन्होंने मुझे एयरपोर्ट पर ड्रॉप कर दिया। मैं जब यहां इंदौर स्थित अपने घर पहुंचा तो पत्नी ने बताया कि ऋषि जी के तीन फोन आ चुके हैं, आपके लिए। मैंने उन्हें फोन लगाया कि क्या बात हो गई। वो बोले- ‘मैं माफी मांगना चाहता हूं, गुस्से में बहुत कुछ बोल गया।’ गुस्सा तो वो करते थे, बहुत जल्दी और बहुत ज्यादा करते थे, लेकिन माफी मांगने में देरी नहीं करते थे। ऐसे ही थे ऋषि...।''

झूम-झूम कर गीत गाए थे नेहरू स्टेडियम में, सुरीले थे
ऋषि कपूर दो बार इंदौर आए। एक बार 1986 में फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' के फंक्शन के लिए। नेहरू स्टेडियम में हुआ था वह कार्यक्रम औरऋषि ने प्रेम रोग का गीत- मैं हूं प्रेम रोगी गाया था। मस्त होकर झूम-झूमकर गाया था। गाने के शौकीन थे ऋषि और ठीकठाक गा लेते थे। सुरीले थे। दूसरी बार वो 2008 में इंदौर आए थे। साहित्यकार हरिकृष्ण प्रेमी जन्म शताब्दी समारोह में शामिल होने। मेरे इस घर में दो बार हम लोगों के साथ लंच कर चुके हैं। खाने-पीने के खूब शौकीन थे। मेरी आखिरी मुलाकात उनसे तब हुई थी, जिस दिन श्रीदेवी की मौत की खबर आई थी।

मां कृष्णा राजकपूर के साथ ऋषि कपूर(दाएं से पहले) उनके पास भाई राजीव कपूर और रणधीर कपूर (बाएं से पहले)।

"ना' से होती थी "हां' की शुरुआत
सुबह उठना, नाश्ता करना, आरके स्टूडियो जाना, जो भी उन्हें जानता था, उसे मालूम था कि ऋषि महीनों तक उन्हें फोन नहीं करेंगे और फिर मिलने पर शिकायत भी करेंगे कि तुम मुझे भूल गए। नाराज हो जाएंगे। रूठ कर चले भी जाएंगे। उन्हें हर चीज़ को पहली बार में 'ना' कहने की आदत थी। जैसे किसी फिल्म का ब्रीफ उन्हें देकर पूछें कि करेंगे, तपाक से कह देते- नहीं करूंगा। फिर थोड़ी देर बाद दोबारा स्क्रिप्ट सुनेंगे। बातचीत करेंगे और फिर ऐसे उत्साह से उस फिल्म के लिए हां कहते, जैसे किसी बच्चे को नया खिलौना मिल गया हो। ताल फिल्म का डिस्ट्रीब्यूशन था मेरे पास। मैंने उन्हें ट्रैक सुनाया। उन्होंने सुना और बोले छोड़ दे यह फिल्म। बकवास है। फिर एक-दो पैग पीने के बाद दोबारा सुना और बोले कमाल है यह ट्रैक। बढ़िया फिल्म है।

ऋषि कपूर (बाएं से पहले) इसके बाद राज कपूर उनके पास राजीव कपूर और आखिर में रणधीर कपूर। बीच में कृष्णा राज कपूर।

नीतू ने अपने लिए कुछ मंगाया और ऋषि तीन सूटकेस में अपने कुत्ते के बिस्किट ले आए
ऋषि को जानने वाला हर शख्स इस बात से राजी होगा कि इतने साल ऋषि कपूर के साथ सुखी दाम्पत्य में रहने के लिए नीतू को वीरता पुरस्कार देना चाहिए। मामूली नहीं था ऐसे मूडी इंसान के साथ निबाह करना, लेकिन नीतू विलक्षण महिला हैं। किसी का स्नेह पात्र बनने की अदभुत क्षमता है उनमें। एक बार ऋषि अमेरिका गए। नीतू ने उनसे अपने लिए कुछ चीजें लाने को कहा। ऋषि तीन सूटकेस लेकर लौटे। नीतू को लगा इस बार तो सारी फरमाइशें पूरी हो गईं, लेकिन जब सूटकेस खोले तो देखा कि ऋषि तीनों सूटकेस में अपने लाडले डॉगी के बिस्किट भर लाए हैं। नीतू बहुत नाराज़ हुई थीं तब।

परिजन के साथ हंसी-मजाक के पलों के बीच काले शर्ट में ऋषि कपूर साथ में पत्नी नीतू सिंह।

बिना फर्स्ट ऐड फिल्माते रहे रऊफ लाला के एक्शन सीन
सिनेमा के लिए उनका जुनून बेमिसाल था। तीन साल की उम्र में पहला फिल्म श्री 420 में उन्होंने शॉट दिया था। 63 की उम्र तक कई बेहतरीन फिल्में कीं, लेकिन मेरी पसंदीदा है दो दूनी चार। अग्निपथ में रऊफ लाला का किरदार उनका सबसे अलहदा किरदार था। इस फिल्म के एक्शन दृश्यों में ऋषि को कई चोटें आईं, लेकिन वो बिना फर्स्ट ऐड के शूट करते गए। वो पूरी तरह किरदार में उतर चुके थे और वे एक पल को भी यह महसूस नहीं करना चाहते थे कि वो एक फूहड़, बर्बर कसाई नहीं, बल्कि ऋषि कपूर हैं। अभी अपना बंगला तोड़कर 22 माले की जो इमारत वे बना रहे थे, वह किराए से देने के लिए नहीं है। उसमें 4 फ्लोर पर तो स्टूडियो बनवा रहे थे ऋषि। सिनेमा के लिए ऐसा जुनून था उनमें।

मां कृष्णा राजकपूर के साथ ऋषि कपूर।

यात्रा पूरी होने पर जब तक उन्हें 'जय माता दी' टेक्स्ट न करते, वो बेचैन रहते
हां वो मूडी थे, शॉर्ट टेम्पर्ड भी कह सकते हैं, लेकिन अपनों के प्रति बेहद फिक्रमंद रहते थे। एक पैक्ट था उनकी फैमिली का, परिवार में से कोई भी कहीं जाता तो टेक ऑफ पर और फ्लाइट लैंड होते ही ऋषि को 'जय माता दी' टेक्स्ट करना होता था। जब तक उन्हें यह मैसेज न मिले वो बेचैन रहते। एक बार रणबीर ने उन्हें फ्लाइट में बैठने के बाद मैसेज भेज दिया, लेकिन टेक ऑफ देर से हुआ। ऋषि ने अनुमान लगा लिया कि अब तो फ्लाइट लैंड हो गई होगी, लेकिन रणबीर का मैसेज नहीं आया। ऋषि ने सारा घर सर पर उठा लिया। लौटने पर रणबीर को उन्होंने डांटा भी कि उसने पहले ही मैसेज क्यों भेज दिया।

कपूर परिवार के साथ ऋषि कपूर (बाएं से पहले) और उनके ठीक पीछेऔर नीतू सिंह।

आखिर उन्होंने नहीं ली 'रिश्वत'
उन्होंने एक से एक फिल्में कीं जिनमें से मेरी पसंदीदा है मुल्क और दो दूनी चार। लेकिन, एक फिल्म की कहानी जो राज कपूर साहब ने सिर्फ मुझे सुनाई थी, वह फिल्म मैंने ऋषि को करने को कहा था। फिल्म का टाइटल था रिश्वत। एक रिटायर्ड मास्टर था, जिसका बेटा मंत्री बन जाता है। मास्टर उससे मिलने दिल्ली पहुंचता है, लेकिन रास्ते में सामान चोरी हो जाता है। संतरी उसे अंदर नहीं आने देता। वो पीछे के दरवाजे से किसी तरह घर के भीतर पहुंच जाता है और देखता है कि उसका बेटा किसी करोड़पति से रिश्वत ले रहा है। मास्टर उसे बेल्ट से पीटते हुए संसद ले जाता है और कहता है यह तुम्हारी औलाद है। मैंने तो इस शहर में अपना ईमानदार बच्चा भेजा था। लेकिन, ऋषि ठहरे मूडी। उन्होंने यह फिल्म नहीं की।

एक पार्टी में मां कृष्णा राजकपूर के साथ ऋषि कपूर। (दाएं से पहले)


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ऋषि कपूर के बचपन की तस्वीर (सबसे दाएं)।


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वैष्णोदेवी में 35 पुजारियों को अनुमति, अब बारी-बारी से पांच-पांच करते हैं पूजा; 27 किमी लंबे पूरे ट्रैक का सैनिटाइजेशन कराया

(श्राइन बोर्ड के सीईओ रमेश जांगिड़ की भास्कर के लिए लाइव रिपोर्ट)देश में खास श्रद्धा स्थलों में से एक है माता वैष्णोदेवी का मंदिर। जम्मू में स्थित इस शक्तिपीठ पर शीश नवाने हर साल 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन इन दिनों यहां सन्नाटा है। कोरोना के चलते 18 मार्च से वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड ने यात्रा स्थगित कर दी थी, लेकिन श्राइन बोर्ड जिम्मेदारी से कार्य को अंजाम दे रहा है। इसकी बागडोरश्राइन बोर्ड के सीईओ आईएएस रमेश कुमार जांगिड़ के हाथों में है। वे बाड़मेर (राजस्थान) के भियाड़ गांव के हैं। जांगिड़ ने बाड़मेर के दोस्त अली को ताजा हालात बताए।

उनके मुताबिक,मंदिर में 35 पुजारियों को ही मंदिर परिसर में जाने की अनुमति है। बारी-बारी से 5-5 पुजारी आरती करते हैं। पहले पिंडी दर्शन का सीधा प्रसारण होता था। अब सुबह-शाम की आरती और लाइव दर्शन कर पा रहे हैं। मंदिर तक 27 किमी ट्रैक सहित कटरा को सैनिटाइज किया गया है। जम्मू स्थित वैष्णवी धाम, कालिका धाम और सरस्वती धाम जहां 1 हजार लोगों के ठहरने की व्यवस्था होती है, इसे 600बेड के क्वारैंटाइन सेंटर के लिए तैयार किया गया है।



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वैष्णोदेवी की फोटो आईएएस जांगिड़ ने उपलब्ध कराई। यह बुधवार की है।


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देश की पहली काेराेना मरीज उषा ने कहा- संक्रमण हुआ तो डर नहीं लगा, तीन हफ्ते में ही ठीक हो गई थी

देश की पहली काेरोना मरीज केरल की मेडिकल छात्रा उषा राम मनोहर संक्रमण से उबरकर फिर से पढ़ाई में जुट गई हैं। 20 वर्षीय उषा ने बताया कि वह चीन के वुहान में अपने विवि की ऑनलाइन क्लासलेने के साथ खाना पकाने में मां का हाथ भी बंटा रही हैं। तीन महीने पहले जब कोरोना संक्रमित पाए जाने की पुष्टि हुई थी, तो भी डरी नहीं थीं। अस्पताल में ठीक होने में उषा कोतीन हफ्ते लगे। मेडिकल में तीसरे वर्ष की छात्रा ने न्यूज एजेंसी को बताया कि अब कैसी है उसकी लाइफ और क्या बदलाव आए...

‘सेमेस्टर खत्म होने के बाद छुट्टियों हाेने के कारण मैं वुहान विवि से केरल स्थित अपने घर लौटी थी। मुझे गले में खराश और सूखी खांसी थी। 30 जनवरी को मुझे कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद मुझे त्रिशूर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया। तीन सप्ताह तक इलाज के बाद मुझे संक्रमण मुक्त पाया गया। 20 फरवरी को मुझे अस्पताल से छुट्टी दी गई। इसके बाद मैंने जल्द ही अपनी ऑनलाइन कक्षाएं लेनी शुरू कर दीं। मेरी क्लास सुबह 5:30 बजे (चीन के समयानुसार सुबह 8 बजे) शुरू होती हैं और सुबह 9 बजे तक चलती हैं। बीच में 10 मिनट का अल्पावकाश मिलता है।

उषा ने कहा- विमान सेवाएं शुरू होने के बाद हीवुहान जा पाएंगे
यूनिवर्सिटीके फैकल्टी मेंबर्स में चीन, पाकिस्तान और श्रीलंका के शिक्षक हैं, लेकिन हमारे संकाय सदस्य ज्यादातर चीन के हैं और वे अंग्रेजी में पढ़ाते हैं। हालांकि, यूनिवर्सिटी ने कहा है कि छात्रों की वापसी पर क्लास नए सिरे से लगेंगी। लेकिन, अभी तक कोई समय सीमा तय नहीं है। हमें बताया गया है कि शायद वुहान में अब कोई मरीज नहीं है, लेकिन विमान सेवाएं शुरू होना जरूरी है, तभी हम वहां जा सकेंगे।’



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यह फोटो केरल की है। यहां संक्रमण रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। अब तक मिले 498 मरीजों में से 383 ठीक हुए, सिर्फ 4 मौतें हुईं। (फाइल)


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दुनिया में 32 लाख से ज्यादा संक्रमित और 2.23 लाख से ज्यादा मौतों के बावजूद 32 देश ऐसे, जहां कोरोनावायरस नहीं पहुंचा

दुनिया में 32 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमण और 2.23 लाख से ज्यादा मौतों के बावजूद 32 देश ऐसे हैं, जहां कोरोनावायरस नहीं पहुंच पाया है। वहां कोरोना का एक भी मामला नहीं मिला है। हालांकि, उत्तर कोरिया पर संशय हो सकता है। 29 अप्रैल तक की स्थिति में 247 देशों में से 215 में कोरोना फैल चुका है। ताजा नाम तजाकिस्तान का है, जहां गुरुवार को पहला मामला सामने आया।

9 देशों की आबादी एक लाख से ज्यादा

जिन 32 देशों में कोरोना अभी तक नहीं पहुंच पाया है, उनमें से 9 देशों की आबादी एक लाख से ज्यादा है। सबसे ज्यादा 2.57 करोड़ आबादी उत्तर कोरिया की है। हालांकि, वह चीन के करीब है और वहां की ज्यादा जानकारी बाहर नहीं आ पाती। ऐसे में वहां के आंकड़ों की जानकारी को लेकर संशय की स्थिति है। सबसे कम आबादी कोकोस आइलैंड की है।

ज्यादा आबादी वाले देश

  • उत्तर कोरिया- जनसंख्या 2.6 करोड़
  • तुर्कमेनिस्तान-जनसंख्या 60 लाख
  • लीसोथो-जनसंख्या 21.4 लाख
  • कोमोरोस-जनसंख्या 8.7 लाख
  • माइक्रोनेशिया-जनसंख्या 5.5 लाख

कम आबादी वाले देश

  • कोकोस आइलैंड- जनसंख्या 596
  • तोकलाऊ- जनसंख्या 1357
  • क्रिसमस आइलैंड- जनसंख्या 1402
  • नियू आइलैंड- जनसंख्या 1626
  • सेंट हेलेना- जनसंख्या 6077

इन 5 देशों ने संक्रमण पूरी तरह खत्म किया

  • अंगुला, ग्रीनलैंड, कैरिबियन आइलैंड, सेंट बार्ट्स एंड सेंट लूसिया और यमन।
  • 214 में से 166 देशों में कोरोना की वजह से कम से कम एक व्यक्ति की मौत हुई।
  • ओशिनिया में 29 देशों और क्षेत्रों में से केवल 8 में संक्रमण के मामले आए हैं।


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जिन 32 देशों में कोरोना अभी तक नहीं पहुंच पाया है, उनमें से 9 देशों की आबादी एक लाख से ज्यादा है। सबसे ज्यादा 2.57 करोड़ आबादी उत्तर कोरिया की है। -प्रतीकात्मक फोटो


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भारत में हर 10 कैंसर मरीजों में से 7 की मौत हो जाती है, यहां एक डॉक्टर पर 2000 मरीजों का बोझ होता है

पिछले दो दिनों में बॉलीवुड ने अपने दो बेहतरीन कलाकार खो दिए। दोनों को वह बीमारी थी, जो दुनिया की हर छठीमौत का कारण बनती है।ऋषि कपूर को ब्लड कैंसर था और इरफान खान को ब्रेन कैंसर। दोनों का इलाज देश में भी चला और विदेश में भी, लेकिन इलाज के 2 साल के अंदर ही दोनों की मौत हो गई।

हर साल देश और दुनिया में कैंसर से लाखों मौत होती हैं। डबल्यूएचओ के एक अनुमान के मुताबिक, 2018 में कैंसर से कुल 96 लाख मौतें हुईं थीं। इनमें से 70% मौतें गरीब देश या भारत जैसे मिडिल इंकम देशों में हुईं। इसी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कैंसर से 7.84 लाख मौतें हुईं। यानी कैंसर से हुईं कुल मौतों की 8% मौतें अकेले भारत में हुईं।


जर्नल ऑफ ग्लोबल एंकोलॉजी में 2017 पब्लिश हुईएक स्टडी के मुताबिक, भारत में कैंसर से मरने वालों की दर विकसित देशों से लगभग दोगुनी है। इसके मुताबिक भारत में हर 10 कैंसर मरीजों में से 7 की मौत हो जाती है जबकि विकसित देशों में यह संख्या 3 या 4 है। रिपोर्ट में इसका कारण कैंसर का इलाज करने वाले डॉक्टरों की कमी बताया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2000 कैंसर मरीजों पर महज एक डॉक्टर है। अमेरिका में कैंसर मरीजों और डॉक्टरों का यही रेशियो 100:1 है, यानी भारत से 20 गुना बेहतर।


कम डॉक्टर होने के बावजूद भारत में कैंसर के कई बड़े अस्पताल हैं, जहां स्पेशलिस्ट और सुविधाएं बेहतर हैं। खाड़ी देशों समेत कई अफ्रीकी देशों के मरीज भी यहां इलाज के लिए आते हैं। इसका एक बड़ा कारण यह है कि विकसित देशों के मुकाबले में भारत में कैंसर का बेहद सस्ता इलाज होता है। लेकिन इसके बावजूद भारत से कई लोग विदेशों में कैंसर का इलाज करवाना पसंद करते हैं।


ऋषि कपूर अपने इलाज के लिए न्यूयॉर्क गए थे। इसी तरह इरफान खान का इलाज लंदन में चला था। बॉलीवुड में यह फेहरिस्त लंबी है। इसमें सोनाली बेंद्रे और मनीषा कोइराला और क्रिकेटर युवराज सिंह जैसे सितारे भी शामिल हैं, जिनका इलाज अमेरिका के ही कैंसर अस्पतालों में हुआ।


एक्सपर्ट मानते हैं कि कैंसर के इलाज में भारत कहीं भी विकसित देशों से पीछे नहीं हैं लेकिन जब लोगों के पास पैसा होता है तो वे और बेहतर के विकल्प खोजते रहते हैं। हां यह जरूर है कि भारत में सभी मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पाता इसलिए विकसित देशों के मुकाबले डेथ रेशियो ज्यादा है, लेकिन जिन्हें भी सही इलाज मिल जाता है, तो ठीक होने की संभावना विकसित देशों के ही बराबर ही होती है।

भारत: साल 2018 में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में कैंसर के मामले कम रहे, लेकिन मौतें ज्यादा हुईं
डब्लूएचओ की ही रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में साल 2018 में महिलाओं में कैंसर के 5.87 लाख मामले आए थे जबकि पुरुषों में यह संख्या 5.70 लाख थी। हालांकि कैंसर से हुईं मौतों के मामले में पुरुषों की संख्या महिलाओं से 42 हजार ज्यादा थी। 2018 में कैंसर से 4.13 लाख पुरुषों की मौत हुई जबकि महिलाओं की संख्या 3.71 लाख थी। पुरुषों में जहां सबसे ज्यादा मामले मुंह और फेफड़ों के कैंसर के आए, वहीं महिलाओं में सबसे ज्यादा मामले ब्रेस्ट और गर्भाशय के कैंसर के रहे।

पुरुषों में

कैंसर

नए मामले

महिलाओं में

कैंसर

नए मामले

मुंह का कैंसर

92 हजार

ब्रेस्ट कैंसर

1.62 लाख

फेफड़ों का कैंसर

49 हजार

गर्भाशय का कैंसर

97 हजार

अमाशय का कैंसर

39 हजार

अंडाशय का कैंसर

36 हजार

मलाशय का कैंसर

36 हजार

मुंह का कैंसर

28 हजार

आहार नली का कैंसर

34 हजार

मलाशय का कैंसर

20 हजार

सोर्स: ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी, डब्लूएचओ (आंकड़े-2018)

-भारत में साल 2018 में ब्रेस्ट कैंसर से 87 हजार महिलाओं की मौत हुई यानी हर दिन 239 मौत। इसी तरह गर्भाशय के कैंसर से हर दिन 164 और अंडाशय के कैंसर से हर दिन 99 मौतें हुईं।


दुनिया : 18% मौतें फेफड़ों के कैंसर से
साल 2018 में कैंसर के कुल 1.81 करोड़ मामले आए। इसमें पुरुषों के 94 लाख और महिलाओं के 86 लाख मामले थे। मौतें भी पुरुषों में ज्यादा देखी गई। 53.85 लाख पुरुषों की कैंसर से मौत हुई, वहीं महिलाओं की संख्या 41.69 लाख रही। पुरुषों में सबसे ज्यादा मामले फेफेड़ों, प्रोस्टेट और मलाशय कैंसरके आए। वहीं महिलाओं में ब्रेस्ट, मलाशय और फेफड़ों के कैंसर के ज्यादा केस थे।

कैंसर

मामले मौतें

फेफड़ों का कैंसर

20.93 लाख

17.61 लाख

ब्रेस्ट कैंसर

20.88 लाख

6.26 लाख

प्रोस्टेट कैंसर

12.76 लाख

3.59 लाख

आंत का कैंसर

10.96 लाख

5.51 लाख

अमाशय का कैंसर

10.33 लाख

7.82 लाख

सोर्स: ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी, डब्लूएचओ (आंकड़े-2018)

- दुनियाभर में साल 2018 में कैंसर की22% मौतों का कारण महज तंबाकू था। गरीब और मिडिल इनकम देशों में कैंसर के25% मामले हैपेटाइटिस और एचपीवी जैसे वायरस इंफेक्शन के कारण हुए।



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In India, 7 out of every 10 cancer patients die, here a doctor carries a burden of 2000 patients.


from Dainik Bhaskar /dboriginal/news/in-india-7-out-of-every-10-cancer-patients-die-here-a-doctor-carries-a-burden-of-2000-patients-127262568.html

वैष्णोदेवी में 35 पुजारियों को अनुमति, अब बारी-बारी से पांच-पांच करते हैं पूजा; 27 किमी लंबे पूरे ट्रैक का सैनिटाइजेशन कराया

(श्राइन बोर्ड के सीईओ रमेश जांगिड़ की भास्कर के लिए लाइव रिपोर्ट)देश में खास श्रद्धा स्थलों में से एक है माता वैष्णोदेवी का मंदिर। जम्मू में स्थित इस शक्तिपीठ पर शीश नवाने हर साल 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन इन दिनों यहां सन्नाटा है। कोरोना के चलते 18 मार्च से वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड ने यात्रा स्थगित कर दी थी, लेकिन श्राइन बोर्ड जिम्मेदारी से कार्य को अंजाम दे रहा है। इसकी बागडोरश्राइन बोर्ड के सीईओ आईएएस रमेश कुमार जांगिड़ के हाथों में है। वे बाड़मेर (राजस्थान) के भियाड़ गांव के हैं। जांगिड़ ने बाड़मेर के दोस्त अली को ताजा हालात बताए।

उनके मुताबिक,मंदिर में 35 पुजारियों को ही मंदिर परिसर में जाने की अनुमति है। बारी-बारी से 5-5 पुजारी आरती करते हैं। पहले पिंडी दर्शन का सीधा प्रसारण होता था। अब सुबह-शाम की आरती और लाइव दर्शन कर पा रहे हैं। मंदिर तक 27 किमी ट्रैक सहित कटरा को सैनिटाइज किया गया है। जम्मू स्थित वैष्णवी धाम, कालिका धाम और सरस्वती धाम जहां 1 हजार लोगों के ठहरने की व्यवस्था होती है, इसे 600बेड के क्वारैंटाइन सेंटर के लिए तैयार किया गया है।



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वैष्णोदेवी की फोटो आईएएस जांगिड़ ने उपलब्ध कराई। यह बुधवार की है।


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देश की पहली काेराेना मरीज उषा ने कहा- संक्रमण हुआ तो डर नहीं लगा, तीन हफ्ते में ही ठीक हो गई थी

देश की पहली काेरोना मरीज केरल की मेडिकल छात्रा उषा राम मनोहर संक्रमण से उबरकर फिर से पढ़ाई में जुट गई हैं। 20 वर्षीय उषा ने बताया कि वह चीन के वुहान में अपने विवि की ऑनलाइन क्लासलेने के साथ खाना पकाने में मां का हाथ भी बंटा रही हैं। तीन महीने पहले जब कोरोना संक्रमित पाए जाने की पुष्टि हुई थी, तो भी डरी नहीं थीं। अस्पताल में ठीक होने में उषा कोतीन हफ्ते लगे। मेडिकल में तीसरे वर्ष की छात्रा ने न्यूज एजेंसी को बताया कि अब कैसी है उसकी लाइफ और क्या बदलाव आए...

‘सेमेस्टर खत्म होने के बाद छुट्टियों हाेने के कारण मैं वुहान विवि से केरल स्थित अपने घर लौटी थी। मुझे गले में खराश और सूखी खांसी थी। 30 जनवरी को मुझे कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद मुझे त्रिशूर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया। तीन सप्ताह तक इलाज के बाद मुझे संक्रमण मुक्त पाया गया। 20 फरवरी को मुझे अस्पताल से छुट्टी दी गई। इसके बाद मैंने जल्द ही अपनी ऑनलाइन कक्षाएं लेनी शुरू कर दीं। मेरी क्लास सुबह 5:30 बजे (चीन के समयानुसार सुबह 8 बजे) शुरू होती हैं और सुबह 9 बजे तक चलती हैं। बीच में 10 मिनट का अल्पावकाश मिलता है।

उषा ने कहा- विमान सेवाएं शुरू होने के बाद हीवुहान जा पाएंगे
यूनिवर्सिटीके फैकल्टी मेंबर्स में चीन, पाकिस्तान और श्रीलंका के शिक्षक हैं, लेकिन हमारे संकाय सदस्य ज्यादातर चीन के हैं और वे अंग्रेजी में पढ़ाते हैं। हालांकि, यूनिवर्सिटी ने कहा है कि छात्रों की वापसी पर क्लास नए सिरे से लगेंगी। लेकिन, अभी तक कोई समय सीमा तय नहीं है। हमें बताया गया है कि शायद वुहान में अब कोई मरीज नहीं है, लेकिन विमान सेवाएं शुरू होना जरूरी है, तभी हम वहां जा सकेंगे।’



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यह फोटो केरल की है। यहां संक्रमण रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। अब तक मिले 498 मरीजों में से 383 ठीक हुए, सिर्फ 4 मौतें हुईं। (फाइल)


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अलग किस्म के अभिनेता थे ऋषि कपूर, 'ना' से होती थी 'हां' की शुरुआत

(अंकिता जोशी). जयप्रकाश चौकसे फिल्म समीक्षक हैं और ऋषि कपूर के पुराने दोस्त भी। ऋषि की रुख्सती से चौकसे साहब दुखी हैं। उनकी यादों में अलग किस्म का ऋषि बसता है। वह अटेंशन सीकर एक्टर भी है और तुनकमिजाज दोस्त भी। अपनी ही दुनिया में मगन रहने वाला इंसान भी है और बच्चों की फिक्र में रात भर बेचैन रहनेवाला पिता भी। लड़कियों के सिरहाने मिलने वाला खूबसूरत नौजवान भी है और जीवनभर सिर्फ नीतू को चाहते रहने वाला सच्चा आशिक भी। ऋषि की ऐसी ही शख्सियत के कुछ अलहदा रंग चौकसे साहब ने कुछ यूं बयां किए।

''मूडी, गुस्सैल, शॉर्ट टेम्पर्ड, मुंहफट...सब थे वो। लेकिन, ऋषि कपूर की शख्सियत को एक लफ्ज में बयां करना हो तो उनकी आत्मकथा का शीर्षक ‘खुल्लमखुल्ला' सटीक शब्द होगा। वे हर बात उतनी ही साफगोई से रख देते थे, जैसी उनके दिल-ओ-दिमाग में आती थी। उनके दोस्त कम ही रहे, लेकिन जो उनके करीबी हैं वो जानते हैं कि ऋषि जितनी जल्दी गुस्सा हो जाते, गलती का अहसास होने पर उतनी ही जल्दी माफी भी मांग लेते। हम भी कई बार उलझे, लेकिन ऋषि कपूर से कोई ज्यादा देर नाराज नहीं रह पाता था। एक दफा मैं और ऋषि रात दो बजे आर के स्टूडियो से निकले। उनकी गाड़ी में थे हम। मैंने कहा मुझे एयरपोर्ट छोड़ दीजिए, पांच बजे मेरी फ्लाइट है। रास्ते में किसी बात पर हमारी कहासुनी हो गई।

कपूर फैमिली के साथऋषि कपूर (बाएं से पहले)

उन्होंने मुझे एयरपोर्ट पर ड्रॉप कर दिया। मैं जब यहां इंदौर स्थित अपने घर पहुंचा तो पत्नी ने बताया कि ऋषि जी के तीन फोन आ चुके हैं, आपके लिए। मैंने उन्हें फोन लगाया कि क्या बात हो गई। वो बोले- ‘मैं माफी मांगना चाहता हूं, गुस्से में बहुत कुछ बोल गया।’ गुस्सा तो वो करते थे, बहुत जल्दी और बहुत ज्यादा करते थे, लेकिन माफी मांगने में देरी नहीं करते थे। ऐसे ही थे ऋषि...।''

झूम-झूम कर गीत गाए थे नेहरू स्टेडियम में, सुरीले थे
ऋषि कपूर दो बार इंदौर आए। एक बार 1986 में फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' के फंक्शन के लिए। नेहरू स्टेडियम में हुआ था वह कार्यक्रम औरऋषि ने प्रेम रोग का गीत- मैं हूं प्रेम रोगी गाया था। मस्त होकर झूम-झूमकर गाया था। गाने के शौकीन थे ऋषि और ठीकठाक गा लेते थे। सुरीले थे। दूसरी बार वो 2008 में इंदौर आए थे। साहित्यकार हरिकृष्ण प्रेमी जन्म शताब्दी समारोह में शामिल होने। मेरे इस घर में दो बार हम लोगों के साथ लंच कर चुके हैं। खाने-पीने के खूब शौकीन थे। मेरी आखिरी मुलाकात उनसे तब हुई थी, जिस दिन श्रीदेवी की मौत की खबर आई थी।

मां कृष्णा राजकपूर के साथ ऋषि कपूर(दाएं से पहले) उनके पास भाई राजीव कपूर और रणधीर कपूर (बाएं से पहले)।

"ना' से होती थी "हां' की शुरुआत
सुबह उठना, नाश्ता करना, आरके स्टूडियो जाना, जो भी उन्हें जानता था, उसे मालूम था कि ऋषि महीनों तक उन्हें फोन नहीं करेंगे और फिर मिलने पर शिकायत भी करेंगे कि तुम मुझे भूल गए। नाराज हो जाएंगे। रूठ कर चले भी जाएंगे। उन्हें हर चीज़ को पहली बार में 'ना' कहने की आदत थी। जैसे किसी फिल्म का ब्रीफ उन्हें देकर पूछें कि करेंगे, तपाक से कह देते- नहीं करूंगा। फिर थोड़ी देर बाद दोबारा स्क्रिप्ट सुनेंगे। बातचीत करेंगे और फिर ऐसे उत्साह से उस फिल्म के लिए हां कहते, जैसे किसी बच्चे को नया खिलौना मिल गया हो। ताल फिल्म का डिस्ट्रीब्यूशन था मेरे पास। मैंने उन्हें ट्रैक सुनाया। उन्होंने सुना और बोले छोड़ दे यह फिल्म। बकवास है। फिर एक-दो पैग पीने के बाद दोबारा सुना और बोले कमाल है यह ट्रैक। बढ़िया फिल्म है।

ऋषि कपूर (बाएं से पहले) इसके बाद राज कपूर उनके पास राजीव कपूर और आखिर में रणधीर कपूर। बीच में कृष्णा राज कपूर।

नीतू ने अपने लिए कुछ मंगाया और ऋषि तीन सूटकेस में अपने कुत्ते के बिस्किट ले आए
ऋषि को जानने वाला हर शख्स इस बात से राजी होगा कि इतने साल ऋषि कपूर के साथ सुखी दाम्पत्य में रहने के लिए नीतू को वीरता पुरस्कार देना चाहिए। मामूली नहीं था ऐसे मूडी इंसान के साथ निबाह करना, लेकिन नीतू विलक्षण महिला हैं। किसी का स्नेह पात्र बनने की अदभुत क्षमता है उनमें। एक बार ऋषि अमेरिका गए। नीतू ने उनसे अपने लिए कुछ चीजें लाने को कहा। ऋषि तीन सूटकेस लेकर लौटे। नीतू को लगा इस बार तो सारी फरमाइशें पूरी हो गईं, लेकिन जब सूटकेस खोले तो देखा कि ऋषि तीनों सूटकेस में अपने लाडले डॉगी के बिस्किट भर लाए हैं। नीतू बहुत नाराज़ हुई थीं तब।

परिजन के साथ हंसी-मजाक के पलों के बीच काले शर्ट में ऋषि कपूर साथ में पत्नी नीतू सिंह।

बिना फर्स्ट ऐड फिल्माते रहे रऊफ लाला के एक्शन सीन
सिनेमा के लिए उनका जुनून बेमिसाल था। तीन साल की उम्र में पहला फिल्म श्री 420 में उन्होंने शॉट दिया था। 63 की उम्र तक कई बेहतरीन फिल्में कीं, लेकिन मेरी पसंदीदा है दो दूनी चार। अग्निपथ में रऊफ लाला का किरदार उनका सबसे अलहदा किरदार था। इस फिल्म के एक्शन दृश्यों में ऋषि को कई चोटें आईं, लेकिन वो बिना फर्स्ट ऐड के शूट करते गए। वो पूरी तरह किरदार में उतर चुके थे और वे एक पल को भी यह महसूस नहीं करना चाहते थे कि वो एक फूहड़, बर्बर कसाई नहीं, बल्कि ऋषि कपूर हैं। अभी अपना बंगला तोड़कर 22 माले की जो इमारत वे बना रहे थे, वह किराए से देने के लिए नहीं है। उसमें 4 फ्लोर पर तो स्टूडियो बनवा रहे थे ऋषि। सिनेमा के लिए ऐसा जुनून था उनमें।

मां कृष्णा राजकपूर के साथ ऋषि कपूर।

यात्रा पूरी होने पर जब तक उन्हें 'जय माता दी' टेक्स्ट न करते, वो बेचैन रहते
हां वो मूडी थे, शॉर्ट टेम्पर्ड भी कह सकते हैं, लेकिन अपनों के प्रति बेहद फिक्रमंद रहते थे। एक पैक्ट था उनकी फैमिली का, परिवार में से कोई भी कहीं जाता तो टेक ऑफ पर और फ्लाइट लैंड होते ही ऋषि को 'जय माता दी' टेक्स्ट करना होता था। जब तक उन्हें यह मैसेज न मिले वो बेचैन रहते। एक बार रणबीर ने उन्हें फ्लाइट में बैठने के बाद मैसेज भेज दिया, लेकिन टेक ऑफ देर से हुआ। ऋषि ने अनुमान लगा लिया कि अब तो फ्लाइट लैंड हो गई होगी, लेकिन रणबीर का मैसेज नहीं आया। ऋषि ने सारा घर सर पर उठा लिया। लौटने पर रणबीर को उन्होंने डांटा भी कि उसने पहले ही मैसेज क्यों भेज दिया।

कपूर परिवार के साथ ऋषि कपूर (बाएं से पहले) और उनके ठीक पीछेऔर नीतू सिंह।

आखिर उन्होंने नहीं ली 'रिश्वत'
उन्होंने एक से एक फिल्में कीं जिनमें से मेरी पसंदीदा है मुल्क और दो दूनी चार। लेकिन, एक फिल्म की कहानी जो राज कपूर साहब ने सिर्फ मुझे सुनाई थी, वह फिल्म मैंने ऋषि को करने को कहा था। फिल्म का टाइटल था रिश्वत। एक रिटायर्ड मास्टर था, जिसका बेटा मंत्री बन जाता है। मास्टर उससे मिलने दिल्ली पहुंचता है, लेकिन रास्ते में सामान चोरी हो जाता है। संतरी उसे अंदर नहीं आने देता। वो पीछे के दरवाजे से किसी तरह घर के भीतर पहुंच जाता है और देखता है कि उसका बेटा किसी करोड़पति से रिश्वत ले रहा है। मास्टर उसे बेल्ट से पीटते हुए संसद ले जाता है और कहता है यह तुम्हारी औलाद है। मैंने तो इस शहर में अपना ईमानदार बच्चा भेजा था। लेकिन, ऋषि ठहरे मूडी। उन्होंने यह फिल्म नहीं की।

एक पार्टी में मां कृष्णा राजकपूर के साथ ऋषि कपूर। (दाएं से पहले)


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ऋषि कपूर के बचपन की तस्वीर (सबसे दाएं)।


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